टक बक टक बक ता ता थय्या
पोली बैग को ना ना भैया!
टक बक टक बक ता ता थय्या
पोली बैग को ना ना भैया!
लेकिन क्यूँ?
पोली बैग जो खाएगी तो गाय मर जायेगी
मम्मी दूध हमारे घर में कहाँ से फिर लाएगी
गलियों में पानी होगा जब गटर बंद हो जायेंगे
हम छोटे छोटे बच्चे कैसे स्कूल को जायेंगे ?!
और क्या होगा ?
खेतों के नन्हे पौधे भी सांस नहीं ले पायेंगे
सब्जी महंगी हो जायेगी फल थोडे से आयेंगे!
सारे बच्चे मिल कर
हम छोटे बच्चों की मानो थैला ले कर जाओ
या बाज़ार से कागज़ के थैले में सौदा लाओ
भैया पोली बैग नहीं कागज़ का थैला देना
अपनी धरती साफ़ रखेंगे मिल कर! बोलो! है ना!
It's my poem. Kindly write the poet's name. Raghib Akhtar
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